Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
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दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
Glory to Girija’s consort Shiva, that's compassionate to the destitute, who always protects the saintly, the moon on whose forehead sheds its attractive lustre, As well as in whose more info ears are the pendants of the cobra hood.
जय सविता जय more info जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
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योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष shiv chalisa lyricsl महँ मारि गिरायउ॥